Rasgulla fought in the sweet shop, रसगुल्लें ने की लडा़ई ,

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इस अनुच्छेद में, एक मिठाई की दुकान में Rasgulla fought in the sweet shop, रसगुल्लें ने की लडा़ई। यह दिखाया गया है कि उनकी आपस में लड़ाई हुयी है।

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आज में आपको एक कहानी सुनाने वाला हूं। कहानी एक रसिकलाल मिठाईवालें की है जिसके दुकान में बनाई हुई मिठाईंयों के बीच अचानक से लडा़ई हो जाती है जिसमें Rasgulla fought in the sweet shop, रसगुल्लें ने की लडा़ई की वजह रसगुल्ला अपने साथ बनाई हुयी अन्य मिठाईंयों से लड पडता है इसी कहानी को में आपको सविस्तर से आगे लिखकर बताता हूं।

एक भोजपुरी नाम का एक शहर था। उस शहर में रसिकलाल मिठाईवाला रहता था। रसिकलाल शहर के नुक्कड पे एक मिठाईंयों की दुकान थी। वह हरदीन ताजी और स्वादिष्ट मिठाई बनाकर बेचता था। उसकी मिठाई खरीदने के लिए लोग दूर दूर से आते थे देखते ही देखते रसिकलाल की मिठाई पुरे शहर में मशहूर हुई। रसिकलाल के दुकान में अब दिन रात भीड लगी रहती थी और इसी वजह से रात को उसे दुकान बंद करके घर जाने के लिए देर होती थी।

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एक दिन जब रसिकलाल दुकान बंद करके घर पहूंचा और खाना खाकर सो गया। उस रात रसिकलाल ने एक सपना देखा सपने में
उसने देखा मिठाई बनाकर वह जब उसे अलमारी में रखने जाता है। तभी उसका ध्यान अलमारी में रखी कुछ मिठाईंयों पर गिरता है। उन मिठाईंयों मे लडाई चल रही थी।

प्रथम रसगुल्लें ने की लडा़ई की सुरवात,रसगुल्ला अहंकार से कहता है में सबसे मिठा हूं तभी उसके बाजूमें रखी थाल से जिलेबी रानी कहती है तू कहाँ से मिठा में ही सबसे मिठी हूं तभी तो पुरे रस से भरी हूं। यह देख इमरती देवी ने चुटकी बजाकर कहां "तू भले ही रस से भरी हैं मगर असली मिठास मुझ में ही हैं।

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बड़ी थाल में रखे लड्डूगोपाल कैसे चुप रहेंगे। लड्डूगोपाल जीने ताव में आकर कहां "अरे हट जाओ सब पीछे,भगवानजी के हाथ में
सदा में रहता हूं। इसलिए में गणपतीजीं की प्रिय मिठाई हूं। उसके बाद बर्तन में रखा हलवा बोला "भले ही तुम गणपतीजीं के हाथ में रहते हो पर गणपतीजीं को भोग तो मेरा ही लगाते हैं।

ईतना सब तमाशा देखकर दुर खड़ी गोणी में चिनी आवाज चढा़कर बोलती हैं "बस्स करो ये लडाई , बस्स करो ये झगडा", आप सब लोग मेरे ही कारण मिठें होतें हो ,रसीलें होतें हो वरना आप सभी का तो वजूद हीं नहीं मिठा होने का क्योंकी तुम तो केवल आटा हो बेसन का, मैदे का सूजी का और पिसी हुई उड़द डाल का मैं ही तुम्हारे मिठें होने की आत्मा हूं इसलिए लडाई बंद करो और जो जितना मिठा हैं वहीं रहो क्योंकी भगवान और भक्तों को सभी मिठाईंया बहुत पसंद है।

ईसलिए सब मिल जुलकर रहों और सब लोगें के मुंह में मिठें का स्वाद दो। सुबह रसिकलाल की बीवी उसे उठाती है रसिकलाल उठकर देखता हैं तो क्या उसे समज आता हैं उसने कोई सपना देखा। तैयार होकर वह अपने दुकान पर आकर अलमारी रखी सभी मिठाई की तरफ देखता हैं मगर सभी मिठाई चुपचाप अपने जगह पर रखी हैं।


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conclusion :  निष्कर्ष

अहंकार ऐक ऐसा शत्रू है जो आपको जीवन में सफल नहीं होने देगा। आप जिंदगी भर यह मेरा है वह मेरा है , मेरी ईतनी जायदाद हैं , मेरे पास ईतनी गाडीयां है , मेरे ईतना पैंसा हैं यह सब आपका अहंकार व लोभ हैं। आपके साथ कुछ नहीं जाता यहां तक के आपका खुद शरीर भी नहीं। यह सब भगवान ने आपको दिया है और उस पर अधिकार भी भगवान का है ईसलिए हमें जो जीवन भगवान ने दिया हैं। उसी चिनी की तरह मिठें बनके सुख चैन और आनंद के साथ व्यतीत करना हैं।


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